खयालों में हर घड़ी रहने लगे हो
मन बेक़ाबू सा रहने लगा है
इस कदर बेचैन करने लगे हो .....
कोई डोर नहीं रिश्तो की
फिर क्यों मुझे अपनी और
खींचते हो ....
होश नहीं मुझे अपनी
इस कदर मदहोश किये हुए हो ..
लाख जतन करुँ
तुमसे दूर होने की
उतने ही नज़दीक
पहुँच जाऊं
इस कदर मेरे
मन मस्तिक पर
हावी हो चुके हो ..
तुम्हीं कहो
मैं क्या करुँ
कैसे तुमसे दूर रहूँ
नींद में भी
मेरी रूह को पुकारने लगे हो ♥
मन बेक़ाबू सा रहने लगा है
इस कदर बेचैन करने लगे हो .....
कोई डोर नहीं रिश्तो की
फिर क्यों मुझे अपनी और
खींचते हो ....
होश नहीं मुझे अपनी
इस कदर मदहोश किये हुए हो ..
लाख जतन करुँ
तुमसे दूर होने की
उतने ही नज़दीक
पहुँच जाऊं
इस कदर मेरे
मन मस्तिक पर
हावी हो चुके हो ..
तुम्हीं कहो
मैं क्या करुँ
कैसे तुमसे दूर रहूँ
नींद में भी
मेरी रूह को पुकारने लगे हो ♥
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