skip to main
|
skip to sidebar
♥कुछ शब्द♥
शब्द मुझे सुनते हैं शब्द मुझे बुनते है शब्द ही हैं साथी मेरे शब्द ही साथ मेरा देते हैं... #बसयूँही
सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by
Blogger
.
Total Pageviews
कुछ मेरे बारे में
निभा
View my complete profile
Twitter
Follow @SciLeNtSoUl
Facebook Fan Page
♥कुछ शब्द♥
ग़र कर सको महसुस तो हर धड़कन में मिलूँगी वरना में वो कहानी हूँ जो किसी धुल सनी किताब में मिलूँगी ....!!!!
Popular Posts
मुहब्बत के बाद.....
मुहब्बत हमारी ज़िन्दगी में आती है तो हमे बेहद खूबसूरत बना देती है , लेकिन जब यह हमारी ज़िन्दगी से वापस लौटती है तब यह हमे इस कदर बदसूरत बना ज...
हाइकू____|||
जीवन पथ उचित अनुचित मैं हूँ विक्षिप्त रुग्ण हृदय शोकाकुल है देह स्मरण तुम घना कोहरा धुंधली सी ये आँखें फ़ैली हैं यादें उदास क्षण मेरी ये तन्ह...
प्रेमिका हूँ मैं____|||
कल्पना के जादुई फ़रेबों में सम्मोहन के स्वप्नलोक की मल्लिका हूँ मैं____ एक प्रेमिका हूँ मैं_______ नदी सुनहरी कल कल बहती ख़ुश्बू में लि...
कुछ यूँही..बस यूँही....!!!
दिल के कैदख़ाने से रिहाई की कोई आस नहीं....मुज़रिम है उम्मीद ..........कुसूरवार है वफ़ा......रिहा होने की कोई गुंज़ाईस नही...!!! तड़प तड़प के आहे...
अँधेरा.....!!!!
थके मांदे.....टूटे फूटे......भीतर मरुस्थल जैसा सन्नाटा.....कहीं कोई भीतर संगीत नही बजता........सुर नही फूटते.......इक रहस्मय अँधेरा..... घु...
तलाश
मैं भी चाहती हूँ ईश्वर के साथ लूडो खेलना मेरी प्रबल इच्छा है उनके साथ ड्यूएट गाना, मेरी लिस्ट विशालकाय है और मेरी क़िस्मत का कद अजन्मा, मेरी...
औरत हूँ मैं_____
न डरती मैं तूफ़ान से न थकती मैं निर्माण से नित्य नूतन सृजन को तत्पर्य न टूटती मैं लोह पाषाण से औरत हूँ मैं मुझे मोह नही अपने प्राण से~ ...
प्रेम
प्रेम तुम्हारे लिए.. ठंडी हवाओं के संग नर्म मुलायम खुशबूदार गुलाब की खुबसूरत पंखुड़ियों पर चलते रहना रौंदे जाने पर जिनकी खूशबू और तीव...
कविता
मेरी हर इक सांस एक नई कविता गढ़ेगी, वह कविता जिसमें ईश्वर मुझे देख सिटी मारेगा बुद्ध मेरी रसोई में चपाती बेलेगा जहाँ मैं रावण के साथ पुष्पक ...
तेरा जो साथ है~!!!
शीतल बहार संग आया त्यौहार है प्रेम की फ़ुहार में भिंगता घर द्वार है दिलवर की मुस्कान है तो ख़ुशियों का अंबार है बज़ रहा है साज़ दिल में ग...
Followers
बस यूंही♥
03:24
|
मुझमे ही समाये हुए हो
न जाने फिर क्यों
ये अंखियां तुम्हें बाहर
तलाशतीं हैं
0 comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
0 comments:
Post a Comment