लुटाये भी तुम... समेटे भी तुम
हम तो रहें सिर्फ गुम....
कभी तेरे मिलने पे...
कभी तेरे बिछड़ने पे...
हाल ए दिल अब किसको सुनाए..
दर्द ए दिल अब किसको दिखाये..
यूँ जो मुँह फेर लिए हो तुम....
कोई जख्म नहीं....
कोई रंज नही....
इक आह सी जी रहें हैं हम...
किससे कहें...
कैसे कहें....
बिन तेरे घुट रहें हैं हम...
तुमसे अलग हो नही पाती..
तुम में खो चूके हैं हम... ♥
0 comments:
Post a Comment