सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by Blogger.
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तेरे कौल

ज्यों ज्यों मेरे क़ल्ब में तेरे गुज़ीदा कौल उतरता जाता है तेरी निगार क़मर समान मुझे तसव्वुर के गैहान में ले जाता है जहाँ मेरा गुमगश्ता क़ल्ब प्रेम के नये आयाम को छुता है।।।।।

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