सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by Blogger.
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हक़ीकत से शायद यादों का महत्व ज्यादा है

मुझे अच्छा लगता है तन्हा रहना।।। कुछ यादों के साथ।।।।कहीं दूर सुनसान से जगह पर जहाँ सिर्फ मैं रहूँ और मेरे ज़ेहन की कुछ खुबसूरत यादें।।।। ये यादें ही तो है  जो मुझे कभी तनहाई में भी तनहा नही रहने देती।।। जहाँ जीवन समर्पण भाव की गति से बढ़ा जा रहा था तेज़ बहोत तेज़। जहाँ यादों की किताब के पन्नों के लिए चंद शब्द भी बटोर ना पाई जिससे खुदसे कह सकती के ये मेरे सिर्फ मेरे लिए है।।।।।एक दिन अचानक  जाने कहाँ से वो बादल आयें अपने शितल जल के साथ झम झम कर बरसने लगें मुझ पर।।। भिन्गोंते गये मुझे और भींगती गयी मैं।।।उन पलों में मैं बहोत भींगी।।। अपने दिल अपनी आत्मा से भींगती रही।। सिर्फ और सिर्फ उन हसीं पलों को मैंने अपने लिए जिया।।।उन कुछ पलों में इतना भींग गयी के बादल को गये एक ज़माना बीत गया पर नमी मेरे रूह की अब तक ताज़ी है।।। मुझे जीवन ने वो मज़बूत कुछ पल उपहार दिए जिसे ताउम्र भुलाना मेरे लिए नामुमकिन होगा।।। मैं खुश हूँ मेरे पास मेरी जिंदगी की सबसे हसीं यादें हैं।। हक़ीकत से शायद यादों का महत्व ज्यादा है।। हक़ीकत जहाँ समय सीमा से बंधा होता है यादें वही खुले आसमान में उम्मुक्त पंछी सा विचरण करती रहती है।।। कुछ हक़ीकत जहाँ डर के साये में  जीती है यादें वही इन डरों से परे मिलती और मिलाती है।।।। अच्छा लगता यूँही अपनी यादों के साथ खुदसे बातें करना।।।कहीं सुनसान वयावान म अपनी यादों को याद कर खो जाना बहोत भाता है।।।। बिखेर देती हूँ उन याद को तन्हाई में अपने आसपास।।। चुनती हूँ फिर वापस एक एक मोती अपने यादों की और रखती जाती हूँ अपने सिने से लगाकर।।।। अपनी जिंदगी का सबसे अनमोल खज़ाना समेट लौट आती हूँ फिर वापस लौट आने के लिए।।।।।

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