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पसरी हुई ख़ामोशी
अल्फ़ाज़ ढूँढती है
गुमनाम सी राहें
मंज़िल को तलाशती है
सांसे बगैर धड़कन
बेज़ान ज़िस्म जैसे
हलचल को तरसती है
बेरंग तस्वीर कोई
रंगों को मचलती है
ज़ज्बातों के सागर
शब्दों के ढूंढें गागर
बूंद बूंद को तरसे
प्यासी धरती जैसे कबसे
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