सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by Blogger.
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आखरी सच

ना चाँद ना तारें सूरज का ना कोई नामों निशान
अँधेरा ही अँधेरा है सफ़र आखरी इंसान।।।।।
ना ख़ुशी की कोई बात ना गम का कोई निशां
शून्य में विलिन होता जाता आखिर इंसान।।।।
चालाकी हर धोखाधड़ी बईमानी और अभिमान
रह जातें इसी दुनियाँ में और खाली हाथ इंसान।
झुठ फ़रेब की इस दुनियाँ में कहाँ है भगवान
वो मिलता वहाँ है जो आख़री सच इंसान।।।।।

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