सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by Blogger.
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दुआ मैं करती हूँ।।।।।।

नाम तेरा हर साँसों पे जाप करूँ दिन रैन
सजन मेरे तुम बिन कहाँ मुझको इक पल चैन
धुँआ धुँआ सा हो जाये मंज़र जो लगे तूं बेगाना
साँस साँस तड़प उठे जो समझूँ तुझे मैं अंजाना
तूं तो मेरा नील गगन है जहाँ उड़ती हूँ बिन पंख
तेरी यादों को सिने से लगाऊं तो धड़कनों में तरंग
तेरे बिन रहूँ तेरे साथ तेरे बिन करूं तुझसे बात
जब चाहूँ तुझे क़रीब पाऊँ क्या दिन और क्या रात
तुमसे ही तो मिला मुझे मोहब्बत का ये सौगात
चाहा तुझे तुझसे भी बढ़कर मिला मुझे जीवन कुछ हटकर
यादों में खोई रहती हूँ पल पल तुझपे ही मरती हूँ
ख़त्म ना होगा इस जीवन में वो इंतज़ार मैं करती हूँ
खुशियों से भरा हो तेरा जीवन हर पल दुआ ये करती हूँ
दोष ना दे तूं मोहब्बत को मेरी हाँ उस पल से मैं डरती हूँ
तुझसे मोहब्बत करती हूँ इसलिए दूर रहती हूँ
जल ना जाये कहीं तेरा दामन मेरे इश्क से
इस आग में इसलिये अकेली मैं जलती हूँ
तूं ख़ुश रहे सदा ये दुआ मैं करती हूँ

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