सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by Blogger.
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मैं हूँ तेरी।।।।।

मेरा इश्क ही है मेरा दिन ईमान तुझ में ही देखूँ अल्लाह भगवान
तेरे कदमों में ही है ज़न्नत सारी,अपनी रूह भी मैं तुझपे वारी
कर दूँ दो जहां भी तुझपे कुर्बान,तुझपे ही अर्पण मन देह प्राण
जान ना मैं साजन पाई यूँ कर देगा मुझे तूं पराई
चाह के भी तुझसे दूर ,इक पल भी मैं रह नही पाई
जन्मों का रिश्ता तुझसे ,टुटे कैसे नाता तुझसे
तुझसे ही थी खुशियाँ मेरी तुझसे ही थी लबों पे हँसी
छोड़ गया यूँ अपना बनाके अंधियारों से मैं हूँ घीरी
रौशनी ना इक पल आये दिल मेरा डूबता जाये
मुख को निहारूँ तेरे करार आये दिल को मेरे
सोचूँ तुझे ही सुबह शाम पुकारूँ लेके तेरा नाम
तुझसे ही दुनियाँ मेरी तुझसे ही मेरे अरमां
मैं हूँ तेरी सनम कहें ज़मी ये आसमां।।।।।।

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1 comments:

Unknown said...

वाह !!
मैं हूँ तेरी सनम कहें ज़मी ये आसमां....

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