सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by Blogger.
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जाने कोई ना दर्द आसमां

इस स्याह रात के मंज़र में
दूर दूर तक फ़ैली ख़ामोशी
धड़कनों की गुंज में भी
छलक रही है उदासी
ना तारें हैं ना चाँद है
जाने ये कैसी रात है
वीरां पड़ा है ऐसे आसमां
जैसे टुट गया हो कोई अरमां
छुपाने को आँसू दिया है
बादलों को ज़िम्मा
टहल रहें हैं बादल ऐसे
आँसुओं से रोये आसमां जैसे
टुट पड़ेंगे बादल झटसे
बारिश की बूँदों को लेके
समझेगा कोई ना
रोया है आसमां
बारिश में भिंगेंगे जब
मौज़ बनायेंगे सब
जानेगा कोई ना
दर्द आसमां
दूर है चंदा सितारें
चमके वो किसके सहारे
रो के गुज़ारेगा रात
ये आसमां
कौन समझेगा बातें
किसको सुनाएँ वो
दिल की अपनी ज़ज्बातें
मग्न है पूरी दुनियाँ
सब की अपनी कहानियाँ
तनहा आसमां का दर्द
जाने तनहाइयाँ
जाने तनहाइया

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