सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by Blogger.
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रेत की मानिंद तेरा प्यार

रेत की मानिंद तेरा प्यार
समंदर के अथाह जल जैसा
तेरी याद.......
ये लहरें तेरे याद की
यूँ आती जाती रहती है....मेरे ज़ेहन की ज़मी पे
हर बार वो रेत सा तेरा प्यार बिखेर जाती है.....
समेटना चाहती हूँ जितना ये उतना ही बिखर जाता है
मुट्ठियों में भर लेती हूँ तो
मेरी अँगुलियों के कोरों से वो चुपके से फ़िसल जाता है...
सुबह से शाम...शाम से फिर रात....ना ये लहरें थमें ...ना ये रेत ही आये मेरे हाथ......

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