सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by Blogger.
RSS

#बसयूँही....!!!!

कुछ यादें
बैचेन मन
तनहा रातें
भूली भटकी
राहें
सर्द सी आहें
लरज़ते होंठ
ख़ामोशी के
साये
दिल की सदायें
अश्क बह जायें
मन की पुकार
कोई सुन ना
पाये.....!!!!

  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • RSS

0 comments:

Post a Comment