कुछ यादें
बैचेन मन
तनहा रातें
भूली भटकी
राहें
सर्द सी आहें
लरज़ते होंठ
ख़ामोशी के
साये
दिल की सदायें
अश्क बह जायें
मन की पुकार
कोई सुन ना
पाये.....!!!!
#बसयूँही....!!!!
23:29 |
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बैचेन मन
तनहा रातें
भूली भटकी
राहें
सर्द सी आहें
लरज़ते होंठ
ख़ामोशी के
साये
दिल की सदायें
अश्क बह जायें
मन की पुकार
कोई सुन ना
पाये.....!!!!
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