दिल की कलम में अश्कों की स्याही है
लिखते संदेसा जाने आंख क्यूँ भर आई है
पढ़ना ज़रूर तुम..तुम्हें प्यार की दुहाई है.
घड़ीघड़ी यादें तेरी मेरे दिलको बहोत तड़पाती है
लिख़ दे ओ जानम मुझे तूं क्या याद तुझे भी आती है
तेरे सपनोंके आंगन में क्या डोली मेरी उतरती है
तुझे देखने को इक नज़र नेह तरसा जाये
ओ बेदर्दी बालमा तुझे याद हम ना आये
कैसा है रे तूं हरजाई ख़ुशी देती है क्या जुदाई
तेरे ग़म के आलाम में देख मैं कैसे मुरझाई
देख मैं कैसे मुरझाई......
बन झोंका तूं खुश्बू का आया
मेरे मन मष्तिक पर है छाया
भूल गई मैं दुनियांदारी
ना छुटें अब ये माया
ना छुटे अब ये माया
ये तुने क्या कर डाला
पिला इश्क का मुझे प्याला
बहती रही मैं पर्वत पर्वत
जैसी कोई धारा
जैसी कोई धारा
भुल गई मैं सजना सवरना
किया तुने ऐसा ज़ादू टोना
कोई मंतर काम ना आये
करूँ क्या मैं अब उपाय
तेरी माया तूं ही जाने
मुझको क्यूँ भरमाया
मुझको क्यूँ भरमाया...
ं
0 comments:
Post a Comment