सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by Blogger.
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दिल को बहला लेते हैं हम~!!!

ढ़ाती है जब मेरे दिल पे तेरी यादें सितम
लौ चिराग़ों की बुझा देते हैं हम~
छुपके अँधेरों में~निग़ाहें मेरी
रोती है चुपचाप~धीरे से ले सिसकी
दिखा तस्वीर तेरी
दिल को बहला देते हैं हम~
ख़फ़ा तुझसे नही~दिल ये मेरा
उदास अपनी ही ज़ात से है
दर्द दाग़ ए दामन का
मोहब्बत के नाम पे
लूट जाने का है~
ग़म जब हद से गुज़रता है~मेरा
लिख़ के लफ़्ज़ों में
समो लेते हैं हम~
घड़ी दो घड़ी की नही
है ये कहानी मेरी
पलों में सदियों का सफ़र किये जाते हैं
कोई हमदम नही
सुनाये जिसे दास्ताँ ए दिल
कहानी अपनी~दिल को
बसयूँही सुनाएँ जाते हैं हम~!!!

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4 comments:

Onkar said...

सुन्दर रचना

निभा said...

शुक्रिया~!!!

सविता मिश्रा 'अक्षजा' said...

सुन्दर रचना

निभा said...

शुक्रिया सविता जी :)

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